नगेन्द्र सिंह झाला की रिपोर्ट
मध्यप्रदेश शासन का स्वायत्त निकाय स्वशासन के कुछ विसंगतिपूर्ण नियमों की वजह से कई-कई बार निगम परिषद, संचालन के दौरान नियम कानूनों की दुहाई देते हुए, एक धड़ा अपनी राय को सर्वमान्य रखने में लगा रहता हैं, तो दुसरा ग्रुप इन्ही कानूनों के सहारे अपनी राजनैतिक पीपासा को हरा करने में कोई कौर-कसर नहीं छोड़ता है। ऐसे में सिर्फ नागरिकों को ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। रतलाम नगर निगम प्रदेश भर में इसका उदाहरण है। देश-प्रदेश एवं रतलाम निगम परिषद पर भाजपा काबीज है। विंâतु वर्तमान में आपसी अहम के चलते भाजपाई राजनीति निचले स्तर पर पहुंच गई है। अनेक गुट में बटी भाजपा 09 माह होने होने को है पर निगम का ना तो बजट सम्मेलन हुआ और ना ही साधारण सम्मेलन हो पाया। जिससे भारतीय जनता पार्टी की सांख-आमजनों में गिरने लगी है। एक तरफ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी को बुथ लेबल तक सक्रिय कर आमजन की सेवा के लिए कटिबद्ध है। वही प्रदेश एवं रतलाम जिले में पंच पार्षदों को सत्ताधारी होने के उपरांत भी विकास के लिए अपनों से उलझना पड़ रहा है। स्मरण रहे रतलाम निगम में सत्ता एवं विपक्षी पार्षद काफी समय से सम्मेलन आहुत करने के लिए अध्यक्ष पर दबाव बना रहे हैं, किन्तु राजधानी की राजनीति के चलते भाजपा सम्मेलन के लिए माकुल समय का चयन नहीं कर पा रही है। जनचर्चा हैं कि एक ओर पार्टी आमजन को रिझाने के लिए शहर-ग्रामीण में बड़े-बड़े सम्मेलन आयोजित कर, सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डाला जा रहा है, वहीं निगम में सम्मेलन नहीं होना पार्टी की अंतरकलह को उजागर करता है।
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